बुधवार, 23 मई 2012

भारतीय रेल की बुनियादी शर्त "असुरक्षित यात्रा "







अब इस देश में रेल दुर्घटनाओं की बढती संख्या से ऐसा लगने लगा है मानो रेल दुर्घटनाएं भी सडकों पर हो रहे सडक हादसों की तरह है । हाले ही में आंद्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में स्टेशन पर खडी मालगाडी से हम्पी एक्सप्रेस की जोरदार टक्कर हो गई जिसमें पच्चीस यात्रियों की मृत्यु हो गई । संसद के मौजूदा सत्र में बडे जोर शोर के साथ ये दावा किया गया था कि भारतीय रेल अब यात्रियों की सुरक्षा हेतु करोडों रुपए खर्च करके बहुत से उपाय करने जा रही है ताकि रेल हादसों पर लगाम लगाई जा सके । ताज़ातरीन घटना में रेलवे के चालक द्वारा सिग्नल की अनदेखी को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है ।  अलबत्ता सरकार व प्रशासन ने हर बार की तरह दुर्घटना की जांच मुआवजे की घोषणा आदि करके इतिश्री कर ली है ।


यहां सबसे बडा सवाल ये है कि आज जब धन , संसाधन व तकनीक की सारी उपलब्धता है तो आखिर क्या वजह है कि ऐसे हादसे नहीं रोके रुकवाए जा सके हैं । कहीं इसकी एक वजह ये तो नहीं कि इन हादसों में मरने वाले आम लोगों की हैसियत सरकार व प्रशासन की नज़र में कुछ भी नहीं है । इस हादसे से अगले हादसे तक क्या नया किया जाएगा ? हर बार की तरह इस बार भी फ़िर सैकडों सवाल को पीछे छोडते हुए सरकार , प्रशासन , भारतीय रेलवे सब आगे बढ जाएंगे एक नए रेल दुर्घटना के इंतज़ार में ।

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शायद सरकार को ये अंदाज़ा नहीं है कि दुर्घटना में सिर्फ़ जीवन ,परिवार , एक नस्ल ही नहीं बल्कि पूरा एक समाज प्रभावित होता है ,जिन्होंने इन दुर्घटनाओं में अपनों को खोया है कभी उन्हें जाकर देखना चाहिए कि किस तरह से किसी के असामयिक चले जाने से पूरा परिवार कैसे टूट और बिखर जाता है । भारतीय रेल विश्व के कुछ चुनिंदा और सबसे बडे परिवहन नेटवर्क में से एक है । अफ़सोस कि इतने वर्षों बाद भी यातायात की बुनियादी शर्त "सुरक्षित यात्रा " को भी नहीं पूरा किया जा सका है ।

2 टिप्‍पणियां:

  1. तभी तो ममता को लगाया गया है वो भारतिइय लोगों का दर्द ममता से महसूस करे\

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