सोमवार, 6 अगस्त 2012

उलटा सीधा सा इक फ़लसफ़ा




आज एक सहकर्मी ने एक चित्र दिखाया जिस पर शब्दों के जाल को कुछ कमाल की तरह से बुना गया था । जिसे पढकर बरबस ही एक मुस्कान निकल जाती है । मामला एक युगल की नोंक झोंक और चुहल पर आधारित है , इसलिए सिर्फ़ इसलिए ही आपसे बांट रहा हूं ताकि आप भी मुस्कुरा उठें ,देखिए सगाई वाले दिन , दो प्रेमी युगलों के बीत की ये बातचीत :



प्रेमसुख :  इस दिन का तो मुझे कब से इंतज़ार था ,

चमेली : अच्छा तो मैं अब जाउं

प्रेमसुख : ना , बिल्कुल ना ।

चमेली : क्या तुम मुझसे प्यार करते हो ?

प्रेमसुख : हां , पहले भी करता था और आगे भी करता रहूंगा

चमेली : क्या तुम कभी मेरे साथ धोखा करोगे ?

प्रेमसुख : ना, इससे अच्छा तो ये होगा कि मैं मर ही जाऊं

चमेली : क्या तुम मुझसे हमेशा यूं ही प्यार करोगे ?

प्रेमसुख : हमेशा

चमेली : क्या तुम मुझे कभी मारोगे ?

प्रेमसुख : ना , मैं ऐसा आदमी नहीं हूं ।

चमेली : क्या मैं तुम पर भरोसा कर सकती हूं ?

प्रेमसुख : हां

चमेली : ..ओ हो डार्लिंग :)


पढ लिया न , अब सगाई के बाद की स्थिति के लिए इस पूरे वार्तालाप को उलटा यानि नीचे से ऊपर के क्रम में पढिए , माजरा साफ़ हो जाएगा