गुरुवार, 9 दिसंबर 2010

खबरदार ! अब सब ठीक है , चिट्ठाजगत में ...तो बामुलाहिजा ..होसियार खबरदार ..धडाधड महाराज लौट आए हैं ...



लीजीए तो आखिरकार धडाधड महाराज हमारे बीच आ ही गए ....अजी पूछिए मत ...नाक में दम हो गया था महाराज । लाख उपाय किए , और जाने कौन कौन से कितने जतन कर डाले कि ..बस अब तो धडाधड महाराज जब हमे बिना बताए ही अचानक धडाम हो लिए ..तो जरूर सीता जी की दुविधा ने उन्हें फ़िर घेर लिया होगा और उनकी दुविधा दूर करते करते हमारा एक और एग्रीगेटर ..वो भी धुरंधर जी महाराज ..लोट लिए और सरक लिए । अब तो मेरा कंप्यूटर भी ताने मारने लगा था ..और भईया झाजी ..मिजाज हरियायल बा न ? अरे का काहे के लिए हरेक मिनट उसका चकरी घुमा घुमा के रिफ़्रेश कर रहे हैं । अब तो दू तीन दिन का सीएल मार लिया समझिए । और कहिए कि चिट्ठाजगत बीमार है ..बीमार है ।


हम भडक गए और फ़ौरन कंप्यूटर की गर्दन धर ली ...अबे चुप्प बे , कौन हमीं ने कहा था बे ..हमने तो कुछ भी कब्बो नहीं कहा बल्कि टीप टीप के धडाधड महाराज का ही पक्ष लिए थे अरे सच कह रहे हैं भाई । देखो देखो यार अब कुछ सूची में गडबड था तो था ....राम राम राम राम फ़िर वही बात । अरे हम नहीं कह रहे हैं जी , बल्कि हम तो कह दिए हैं ..खबरदार ! अब सब ठीक है ..अरे जो भी है ठीक है भाई ...ए सुनिए यार , ई काऊंट डाऊन , इ लिंक , थिंक वाल चक्कर सब ....और जौन टाईप का भी उत्तेजना होता है आप लोग के ..यार तनिक उसको डायवर्ट करके रखिए न जी , अरे माने तो चिंता जाहिर करते रहिए ...मगर भीतरे भीतर । अरे कम से कम पोस्ट पढने लिखने का औप्शन तो रहने ही दिया जाए जी ।

देखिए हम जान रहे हैं कि इससे आप लोग को कुछ पोस्ट जो ड्राफ़्ट में रखे हुए हैं अब उसको छापने का स्कोप थोडा सा कम टाईप का हो गया है , लेकिन यार इत्ता सैक्रीफ़ाईस आप नहीं कर सकते हैं क्या । अरे कर सकते हैं महाराज ..तो नाक बंद करके गहरी सांस लीजीए और एक साथ कसम खाईए कि अब धडाधड महाराज को कोई नहीं कुरियाएगा ( मतलब कि खुजली करेगा ) , और न ही कोई सूची , (यहां तक कि आंग सान सूची जैसी कोई पोस्ट भी आ जाए तो उसे इग्नोर कर देगा ), अरे कसम के बाद अईसा बादाखिलाफ़ी आप नहीं कर सकते हैं ,कोई रैंक , चाहे कि कल होके आपको स्वयं महाराज दन्न से कंप्यूटर से निकल कर कहें कि आपके ब्लॉग को कर्नल का रैंक से नवाजा गया है , कल से लिखा आएगा ..कर्नल __________, मेजर _________, हवलदार ________, आदि आदि ।

तो बस आज की बकबकाहट यहीं समाप्त होती है ...अब चलते हैं जरा महाराज संग घूमने ..

ये पोस्ट निर्मल हास्य ( एक तो ये दोनों ससुरे आज तम हमें नहीं मिले हैं , किसी भी ब्लॉग बैठकी में ) के लिए लिखी गई है ..बांकी आप लोग को भी कुछ मिलता है तो समेटे जाईये , कौन मनाही नहीं है जी

मंगलवार, 30 नवंबर 2010

आज की कुछ खासमखास बकबक ....अरे नहीं बकर बकर कहिए


हमारा आज का फ़ेसबुक स्टेटस :-



DDA के फ़्लैट्स के लिए आवेदन पत्र की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है ...सुना है कि इस बार का सिलेबस बहुत अलग कर दिया है ..पच्चीस पेज के उस बुकलेट को समझने के लिए ..हमने पच्चीस दिन का क्रैश कोर्स ट्यूसन ..शुरू किया है ..on.first come bais....जल्दी करें ..

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आज के विचार कुछ ये हैं जो दिमाग में आए हैं कि अब तक जो थोडा बहुत बिग बॉस झेला है ..या कहिए कि जबरन ही घरवालों द्वारा खाना खाते समय झिलवाया गया है ..उसके हिसाब से ..वहां रह रहे तमाम प्रतियोगियों में हमें तो ...एक ही प्रतियोगी दिखा जो ..शिक्षित , संस्कारी , सहनशील , सहिष्णु ..या कुल मिला कर ..एक अच्छा इंसान दिखा ......वो हैं सीमा परिहार ..पता चला कि वे डाकू थीं ...लो उनको छोड कर अन्य सभी में हमें थोडा बहुत डाकूपन दिखाई दिया ...


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अब आज की पढाई लिखाई :-

मा स्साब अपने एक स्टूडेंट से , तुम बडे होकर क्या बनोगे ....

स्टूडेंट :-सर , MBBS करने के बाद मैं पुलिस ज्वाइन करनी सोच रहा हूं , और एक software company में एक अच्छी सी जॉब भी करूंगा एक legal advisor के रूप में , ब्ल्डिंगें बनाऊंगा और रिसर्च करते हुए एक्टर बनने का प्रयास करूंगा ..


मा स्साब ...तेरा नाम क्या है बे ....

स्टूडेंट .....रजनीकांत ...



चलिए अब इतना ही ..अब बकबक ही करेंगे तो लिखेंगे पढेंगे कब जी ..आयं

शुक्रवार, 26 नवंबर 2010

.दिसंबर में फ़िर से एक ब्लॉग बैठक करने वाले हो ................जी , हां ...शायद ....................यार बाई गॉड पूरे उल्लू के






अभी थोडी देर पहले ही फ़ेसबुक पर स्टेटस अपडेट किया ...ये

एक फ़ोन आया ... सुना है कि आप लोग ...दिसंबर में फ़िर से एक ब्लॉग बैठक करने वाले हो ................जी , हां ...शायद ....................यार बाई गॉड पूरे उल्लू के ..........हो....फ़ोन कट



हमारे एक दोस फ़ौरन हमें काल करके बोले ...सारा रोमन बाला उन्हीं का है , और अंग्रेजी में लिखा हुआ अजय हम ही हैं ..माने झाजी ..देखिए


Lakshmi ne phone kiya tha kya?

ajay: हां लक्षमी जी खुद थी लाईन पर

: ha ha ha
kya Swari ganthane ke unka irada hai?

ajay: पता नहीं अभी कंफ़र्म तो नहीं हुआ है उनका मकसद मगर उन्होंने मुझे प्रोपरली पहचान लिया ये कम बडी बात नहीं रही

: arthat mamala ulata hai... swarth aapaka hai .... ha ha ha

ajay: जी मगर बातों से ऐसा लग रहा था कि लक्षमी जी जरूर एक बीमा पॉलिसी पर साईन ले कर जाएंगी ...घोर स्वार्थी टाईप से

yadi ve svayam aati hai to policy me koi burai to nahee ?

ajay: अजी क्या पता बाद की किस्तों के लिए यमराज से दूत अपाईंट कर रखे हों

: arey kya baat kar di aapane?

ajay: वैसे लक्षमी ने ऐसे कोई एक्सप्रेसन दिए तो नहीं थे
इसलिए एक ब्लाईंड गेस था
वैसे भी मैंने सोचा कि लक्षमी जी अपने उल्लू के सामने सलेक्टेड एक्सप्रैशन ही देती होंगी

अभी अभी चैटिया रहा था एक दोस

बुधवार, 24 नवंबर 2010

आईए हिंदी ब्लॉगिंग के रसातल को देख कर आते हैं ................



जी हां चौंकिए मत , दरअसल पिछले दो दिनों की कुछ पोस्टों ने , मेरे उन दो प्रिय ब्लॉग शिक्षार्थियों , एक है सुश्री रिया नागपाल और दूसरे हैं मित्र ब्लॉगर और इस बार ही मिले भाई केवल राम , ये दोनों वो लोग हैं जिन्होंने हिंदी ब्लॉगिंग को शोध का विषय बनाया है, उन्हें थोडा सा क्षुब्ध सा कर डाला होगा सो उन्हीं से मुखातिब हूं । अब मुझे समझ नहीं आ रहा कि इसे ब्लॉगजगत की खुशकिस्मती कहूं कि पिछले दस दिनों में ही हिंदी ब्लॉगिंग पर एक अलग दृष्टिकोण बनाने और स्थापित करने वाले दो लोग अचानक ही रूबरू हुए , या फ़िर ये ब्लॉगजगत की बदकिस्मती कहूं कि दोनों ने ही पिछले दस दिनों में जो पोस्टें , और बहस देखी हैं तो उन्हें कैसा महसूस हुआ होगा । बनिस्पति इसके कि , हिंदी ब्लॉगिंग में इससे भी अधिक , निंदनीय , शर्मनाक , विवादास्पद हो चुका है इनका भी होना अब अनछुआ तो नहीं ही रहेगा ,और जिस तरह की पोस्टें और प्रतिक्रियाएं मैंने पढी देखी तो जरूरी हो गया कि ..एक ब्लॉगर मन को अब छोड दिया जाए कि ..चल कर कुछ ....बेबाक बकबक ॥


इन पोस्टों से , इनमें आई टिप्पणियों से , और उनमें से निकले उदगारों ने निश्चित रूप से ब्लॉग्गिंग और ब्लॉगर्स को सीखने के लिए बहुत कुछ दिया होगा , जिसमें से पहला तो वही है जो इस दुनिया के परे भी चलता है ...यानि इतिहास अपने आपको दोहराता है ..और दोहराता ही जाता है ....यानि आप जो कुछ करेंगे , कहेंगे , सुनेंगे ..वो घूम फ़िर कर आपके सामने ठीक उसी रूप में खडा हो जाता है ..ज्यादा से ज्यादा अप उसे थोडे दिनों के टाल सकते हैं ।एक दूसरी महत्वपूर्ण बात ये कि हिंदी ब्लॉगिंग में जब भी किसी बैठक / सम्मेलन और संगोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा तो यकीनन , उसकी सफ़लता उसकी सार्थकता से ज्यादा रुचि उससे संबंधित कोई विवाद , कोई बवाल आदि पर ही बनेगी । वाह वाह इसे क्या कहा जाए विडंबना मात्र या कि हिंदी ब्लॉगिंग की मासूमियत कि इतना भी परिपक्व नहीं कि अपनी एक किसी छवि को ही बचा सके । एक और बात ये कि , चाहे हिंदी ब्लॉगर्स लाख प्रयास करें मगर अक्सर क्रिकेट मैच के उस एकमात्र कैच को छोड देने की गलती जरूर करते हैं जो बात में हार का सबब बन जाता है ।


मैं अपने दूसरे ब्लॉग पर रविवार के रोहतक ब्लॉगर बैठक की रिपोर्ट करीने से सजाने में लगा था , हालांकि सबका मानना है कि इस तरह के ब्लॉग बैठकों में कुछ नहीं होता किंतु यदि किसी ब्लॉगर से उसके मुंह से ये सुनना कंप्यूटर के संचालन में भूलवश हुई एक गलती ने उन्हें नौकरी खोने पर मजबूर किया और उसके बाद उन्होंने न सिर्फ़ कंप्यूटर सीखा बल्कि एक दिन ब्लॉगिंग में भी आ गए , तो मेरे लिए तो एक ब्लॉगर के मुंह से सुना हुआ उनका ऐसा अनुभव भी मेरे लिए वहां मेरी उपस्थिति को सार्थक कर गया , । तो जैसा कि मैं कह रहा था कि मैं रिपोर्ट सजाने में लगा हुआ था , बावजूद इसके कि कुछ दिनों से लगातार ब्लॉगजगत से जुडे साथियों के लिए मुश्किल समय गुजर रहे होने के कारण मन मेरा बोझिल था , मैं चाह रहा था कि जल्दी से जल्दी सब तक सारा कुछ पहुंचा दूं , मगर अचानक देखा तो दो पोस्टों पर नज़र गई । दूसरी पोस्ट पहली पोस्ट में इस्तेमाल की गई भाषा , एक विशेष शब्द के प्रयोग और लेखक की मंशा और यहां तक कि उस पर पाठकों द्वारा दी गई टिप्पणियों पर सख्त एतराज़ जताते हुए लिखी गई थी । अब बात इसके आगे की ....




पहली बात तो मैं ये स्पष्ट कर दूं , कि,हालांकि इस बैठक का आयोजक मैं नहीं था इसलिए ये स्पष्टीकरण करने देने का हक सिर्फ़ राज भाटिया जी का ही है ,मगर चूंकि एक ब्लॉगर की हैसियत से मैं भी वहां उपस्थित था इसलिए कम से कम अपनी स्थिति स्पष्ट कर दूं इतना हक तो है ही मुझे । तो सबसे पहली बात उनके लिए जो इस पोस्ट को ब्लॉगर्स बैठक से जोड कर देख रहे हैं या जोडने की कोशिश कर रहे हैं जैसा कि उस पोस्ट की शीर्षक से ही स्पष्ट था ...ब्लॉगर बैठक के बाद .......जी हां ध्यान दीजीए ..के बाद । यानि तब जबकि बैठक खत्म हो चुकी थी और ये बैठक तभी खत्म हो चुकी थी जब हम सब आपसी विमर्श और बातचीत के बाद उठ कर तिलियार बाग के भ्रमण पर निकल गए थे और फ़िर तो पोस्ट में जिस एक बात या रात सुबह का जिक्र था उस वक्त तक तो इतिहास ने तारीख भी बदल ली थी ...। जो लोग इसे ब्लॉग बैठकों में होया किया साबित कर रहे हैं वे जरा फ़िर ये भी बता देते कि ब्लॉग बैठक के बाद भाई समान ब्लॉगर डॉ टी एस दराल जी के यहां उनके पितृशोक पर हमारा जाना भी किस साजिश के तहत किया गया है ...हद है सोचने और कहने वालों की । तो खैर इससे निषकर्ष ये निकलता है ब्लॉगर बैठक के आयोजन करने वाले तमाम उन विचारों को अपना गला ये सोच कर घोंट लेना चाहिए कि यहां दूसरे तो दूसरे उन मित्रों ने भी इसे खाने पिलाने की हैसियत करने वाले किसी भी शख्स की बपौती करार दिया जिन्होंने तो सरकारी खजाने से ही ऐसी या शायद इससे भी उच्च कोटि की मेहमाननवाजी का आनंद हिंदी ब्लॉगर होने की वजह से ही उठाया था , काश कि तब भी सोचा होता कि , बिल तो वहां भी दिया ही गया होगा ...एक की जेब से न सही .....पूरी जनता की जेब से ही सही । अब देखना तो ये है कि ऐसी घटनाएं मेरे जैसे उन और कितने सिरफ़िरे ब्लॉगर को कितने हद तक तोड पाती है कि कभी तो कुछ ऐसा होगा कि ..हम सोच बैठेंकि ..हां ये दुनिया आभासी ही रहे तो ठीक है ...


मैं इस संदर्भ में एक उस बात का जिक्र करना चाहता हूं जो कि संयोग से ही इस बैठक में भाग लेने जाते समय हमारे बीच हुई थी । मुझे पता नहीं कि मैंने किस संदर्भ में ये बात कही थी मगर मैंने कहा था कि , ये बहुत ही जरूरी है कि पोस्ट को जिस भावना और मंतव्य से लिखा गया है उसे पाठक उसी मंतव्य से समझे भी , ये हो सकता है शत प्रतिशत वैसा हो पाना संभव न हो मगर तालमेल तो होना ही चाहिए , अन्यथा बहुत बार पोस्ट में कही गई और उससे समझी गई बातों में गजब का विरोधाभास हो जाता है । एक दूसरी जरूरी बात ये कि कभी कभी सिर्फ़ एक टिप्पणी पूरी पोस्ट की दिशा मोड देती है या कहिए कि भटका देती है उसे उसके उद्देश्य से । अब इसी संदर्भ में पहली पोस्ट आ घेरे में आ गई । हालांकि कुछ भी लिखने पढने सुनने से पहले ये बात ध्यान में रखनी ही होगी कि , क्या सिर्फ़ एक पोस्ट , एक कमेंट , के आधार पर किसी ब्लॉगर की छवि उसके विचार उसके उद्देशय को तय कर देना उचित है , हालांकि मैं किसी की तरफ़ से कोई स्पष्टीकरण नहीं दे रहा क्योंकि समय के अनुकूल प्रतिकूल लिखने पढने की स्वाभाविक जिम्मेदारी के एहसास की अपेक्षा तो यहां हर किसी से ही होती है । तो फ़िर क्या अक्सर उनकी पोस्टों में उनकी टिप्पणियों में उनके विचार , उनका मंतव्य वही होता है जो कि उस पोस्ट के आधार पर बनाया दिखाया समझाया जा रहा है । हां भूल तो हुई है , और इसके जस्टीफ़िकेशन की कोई कोशिश करने का प्रयास भी किए जाने की जरूरत नहीं है क्योंकि जब ये अंदेशा हो गया था कि पोस्ट को एक गलत दिशा दी जा रही है तो फ़िर उन कारकों (टिप्पणियों) को सिरे से ही मिटा देना चाहिए था और हो सकता तो पोस्ट भी । और उस पोस्ट से बेहतर विकल्प तलाशाना कोई कठिन कार्य नहीं था कम से कम उनके लिए तो जरूर ही ।



अब बात दूसरे पोस्ट की , ये तो बिल्कुल स्वाभाविक ही था कि जिन्होंने महिला अधिकारों पर किसी भी तरह से कभी भी किसी को नहीं बख्शा तो फ़िर कैसे ये मान लिया गया कि इस पोस्ट को वे यूं ही जाने देंगी । हालांकि मैं इस समय ये बात कतई नहीं कहना चाहता था , मगर इतना तो सबको यहां स्पष्ट दिख जाता है कि अपने एक विशेष बागी तेवरों और विचारों के कारण ही जाने अनजाने वे अन्य सभी ब्लॉगर्स से वैचारिक उलझाव में रही जरूर हैं । और ऐसा करते हुए खुद उन्होंने भी कई बार शायद उन मर्यादाओं को पार किया हो जिन्हें अक्सर नैतिकता के पैमाने पर रख कर देखा जाता है , मगर हर बार अपनी लडाई पूरी दृढता से लडी है । मगर लडी ही हैं , कभी कोई मुद्दा या बहस उन्होंने इसके विकल्प से नहीं हासिल किया ..यही उनका मुद्दा है । आखिर क्यों कभी कोई दूसरा ऐसा नहीं दिखता लिखता जो कि अन्य सभी ब्लॉगर्स के समान रूप से निशाने पर आ जाता हो । और तभी तो कहा गया है न कि इतिहास खुद को ही दोहराता है ...मेरे ख्याल से अब ये बात भी गौर करने लायक है कि आखिर हर बार वही क्यों ...और यदि मिल जाए तो फ़िर ...उत्तर तो अगला प्रश्न होना चाहिए कि .....तो फ़िर हर बार यही क्यों (पोस्ट ).....।

मुझे लगता है कि हमें एक दूसरे की इज्जत करना अभी सीखना होगा और यदि ऐसा हम नहीं कर पा रहे हैं तो फ़िर ये बहुत ही जरूरी हो जाता है कि हम आपस में आभासी रिश्ता ही निभाएं ताकि कम से कम ये अपेक्षा और अफ़सोस भी न रहे कि जिनके लिए ऐसा सोचा वो तो वैसे निकले या फ़िर कि ओह इनके लिए क्यों ऐसा सोचा ये तो वैसे न निकले । अब इन सब पिछली कुछ घटनाओं से सीखते हुए मुझे लगता है कि दो निर्णय लेना श्रेयस्कर होगा , पहला ये कि अब तक बनने हुए रिश्तों को ही जबरदस्ती ही सही आभासी जामा पहना दिया जाए और दूसरा ये कि भविष्य की तमाम ऐसी बैठकों , विमर्शों , का आयोजन करने वाले सभी मित्रों को चुन चुन कर ये लिंक्स भेजा करूंगा । फ़िलहाल तो इतना ही ..तो रिया और केवल जी से यही आग्रह है कि ..जब ब्लॉगिंग का इतिहास लिखने का प्रयास करें तो इन मुद्दों पोस्टों पर कोई दृष्टिकोण बनाने से पहले सब कुछ अच्छी तरह से खंगाल लें ।

एक आखिरी बात ये कि मैं इस पोस्ट की हालत देखने के बाद ही तय करूंगा कि ये पोस्ट रहनी चाहिए या नहीं ..क्योंकि कूडा करकट बन गई तो रखने का क्या फ़ायदा .....

मंगलवार, 16 नवंबर 2010

सभी महिला ब्लॉगर्स से एक शिकायत हमारी भी ...आज तो सुननी पडेगी जी ...






जी हां मुझे अच्छी तरह से पता है कि मेरे इस शीर्षक को पढ कर आप सब महिला ब्रिगेड ने भौंहें तानी होंगी और पहले सोचा होगा अच्छा अच्छा अब कौन है ये दु:साहस करने वाला ..देखें तो ज़रा ...और ये किया क्लिक ..

भई यूं तो ये शिकायत मुझे काफ़ी पहले से ही थी फ़िर सोचा आज तो कह ही दूं ताकि समय रहते मेरी शिकायत की सुनवाई हो सके तो क्या पता भविष्य में ये शिकायत दूर ही हो जाए ।

तो मेरी शिकायत ये है कि इतने सारे ब्लॉगर सम्मेलन , संगोष्ठी ,मिलन आदि का संयोग बनता रहता है , और हमारे हर मोर्चे , हर पोस्ट , हर टिप्प्णी , हर सहयोग और हमारी हर वैचारिक लडाई में हमारे कदम से कदम मिलाती हमारी सहब्लॉगर इनमें बहुत ही नाममात्र की भागीदारी करती हैं । ये बात बहुत ही खलती है कि , महिला मुद्दों पर एक बटालियन बन कर और ताबडतोड फ़ायरिंग करके सबको मुंहतोड जवाब देने वाली ये ब्लॉगर ऐसे मंच पर अपने अनुभवों को , अपनी कठिनाईयों को और अपनी उपलब्धियों को साझा करने से बचती क्यों हैं ??

दिल्ली ब्लॉगर सम्मेलनों में तो कई बार मुझे संजू भाभी जी , ( भाई राजीव तनेजा जी नाम के ब्लॉग की मॉडरेटर और उनकी श्रीमती जी ) की मौन डांट पड चुकी है कि अच्छा .....अकेले मैं ही ...श्रीमती झा जी कहां हैं ? अब मैं उन्हें क्या बताऊं कि , वो तो हमने राजीव भाई को पटा रखा है आपकी लंबी लंबी कहानी हम तभी पूरी पढेंगे जब आप भाभी जी को ले कर आओगी ताकि भूले भटके यदि और भी कोई सहब्लॉगर आ जाएं तो फ़िर महिला महिला मोर्चा तो बन ही जाएगा ।

हालांकि मैं ये बिल्कुल भी नहीं कह रहा कि महिला ब्लॉगर्स की उपस्थिति के लिए एक अन्य या बहुत सारी महिला ब्लॉगर्स का होना जरूरी है बल्कि कोई जरूरी नहीं है । तो बताईये जी आप सब के सब ....क्या कारण है जी ..और हां बहाने वाले औप्शन नहीं चलेंगे ..हमने उन्हें पहले ही अलग करके छांट दिया है आप लिखेंगे तो भी ब्लॉगर बाबा भी उसे स्वीकार नहीं करेंगे और आपकी टिप्पणी कौन बनेगा करोडपति में चली जाएगी .....फ़िर मुझे मत कहिएगा यदि कल को ..अपने हायं बाबू ..ओहो ..अमिताभ बच्चन जी .उसे पढ डालें ।

शनिवार, 6 नवंबर 2010

आईये आपको सिखाते हैं कि एक ठो अदद पोस्ट ..स्टेप बाई स्टेप ...कैसे लिखते हैं ...एक्सक्लुसिव टुसन है जी ..



कल इस पोस्ट को बिटिया बेटा के ब्लॉग पर भी लगया था , मगर जनहित में जारी टाईप की फ़ीलींग से इसे आज यहां चिपकाया जा रहा है , आप श्रद्धानुसार कहीं से भी लाभ उठा सकते हैं ....


इसके लिए आपको सबसे पहले करना ये है कि अपनी आस्तीन को चढाइए , कमरबंद को सख्त करिए ,और सबसे पहले तलाश करिए एक अदद कुर्सी , अरे भाई आजकल एक कुर्सी होना बहुत कंपलसरी है जी , न प्रधानमंत्रा की सही संतरी की भी चलेगी , तो उसको तलाशिए, और उसके ऊपर चढने का जुगाड करिए ,




इसके लिए आप चाहें तो पहले कुर्सी को मन के मुताबिक सेट करिए , क्योंकि कुर्सी को थोडी पता है कि . कौन बडा ब्लॉगर है कौन छोटा , वो तो बाद में हरकतों से ही पता चलता है


इसके बाद आप लपक कर उस पर जा बैठिए , अरे लपक कर इसलिए क्योंकि जिस हिसाब से ब्लॉगर बन रहे हैं या फ़िर जितने स्पीड से ब्लॉग बन रहे हैं , उसमें ज़रा सी देरी आपको ब्लॉगस्पॉट से डॉट कॉम तक का सफ़र करते अफ़सोस भी हो सकता है ...

आप उस पर अच्छी तरह जम जाईये , क्योंकि इस सफ़र पर आपको किसी भी स्पीड , किसी भी हाइवे , पगडंडी , और यहां तक कि कभी कभी जेट वे पर भी दौडना पड सकता है , हां ये हो सकता है कि इस बीच आपको एक पापा टाईप के प्राणी ध्यान भंग करने की कोशिश करें , मगर आप हिलना मत

बस बैठते ही जांच पडताल शुरू कर दीजीए , ध्यान रहे , यदि आप ब्लॉगर बनना चाहते हैं तो पहला और आखिरी रुल नेट पर बैठते ही कमेंट मारना शुरू कर दें , सेकेंड का सदुपयोग स्माइली लगा कर भी किया जा सकता है

बेशक वो पापा टाइप की चीज़ अलग अलग एंगल से आपकी तंद्रा को भंग करने की कोशिश करें , मगर आपका ध्यान बिल्कुल वैसे नहीं भटकना चाहिए , जिस तरह से बहुत से ब्लॉगर्स का ध्यान रैंकिग की उठापटक से नहीं भटाकता ...
हां हो सकता है कि ब्लॉगिंग के दौरान आपकी फ़्लाइट कई बार , कलाबाजी भी मारे तो आप एक कुशल पायलट की तरह हर एंगल से ट्राई कर लीजीए ब्लॉगिंग को ड्राईव करने के लिए

बस फ़िर क्या फ़िर तो दे दनादन दे दनादन ..बस आप ब्लॉगर बनने को ही हैं ..लगे रहिए .........


जैसे ही आप ब्लॉगिंग शुरू करेंगे , आपके कंप्यूटर की , सीपीयू, माऊस ,सब एकाएक डेंगू से पीडित होने का दरख्वास्त करेंगे . मगर आप धोखे में न पडकर ससुरों को उलटा टांग कर दुरूस्त करिएगा , पहले माऊस को ही पकडिए , अरे ये भी ब्लॉंगिंग का एक दस्तूर है कि पहले चूहों को ही उलटा किया जाता है शेर के नाक में खुजली करना गलत बात होती है जी ....

लिजीए अब आप ब्लॉगर बनकर पोस्ट लिखिए ..और क्या लिखना अब ये अगली क्लास में पता चलेगा आपको आएंगे न




गुरुवार, 4 नवंबर 2010

ओस्ताज चेला का बात है ....तो बकबका दिए ...




एक्चुअली जब ई ब्लॉग बनाए थे तो तभी सोचे थे कि , ब्लॉगिंग में जब अखाडानुमा माहौल बन जाता है तो अपने उ ब्लॉग जिसपर आप अपना जीवन अपना अरमान सजाते हैं , उ को कम से कम ई अखाडाबाजी से जितना हो सके बचाया जा सके , तो उपाय निकला कि ई सब बकबक के बास्ते एक ठो अलगे ब्लॉग बना दिया जाए तो आज हमरा और ओस्ताज के बीच तनिक लघु संवाद हुआ ..नोश फ़रमाईये ..

ओस्ताज जी हमारी ई पोस्ट पर टीपे कि

उस्ताद जी ने कहा…

3/10

इसको आप चिटठा चर्चा कहते हैं ?
जो मिला सबको थैले में डाल लिया... छंटाई-बिनाई तो अगला कर ही लेगा.
इतनी मेहनत के बजाय अगर सलेक्टेड बारह-पंद्रह लिंक दिए होते तो ज्यादा बेहतर होता


हमारा नम्र निवेदन ..अरे लिटरली नम्र है यार ..

हा हा हा ओस्ताज जी आ गए ..हम भी कह रहे थे कि , एतना दिन हो गया युनिट टेस्ट लेने नहीं आया कौनो ..फ़िर सोचे कि हो सकता है चुनाव ड्यूटी में लगे हों । हां त मास्साब ....अब देखिए हम तो आपको मास्साबे कहेंगे काहे से कि आप बराबर ओतने लंबर हमको देते हैं ...जितना ऊ ठर्की मेहता सर दिया करते थे ...त मास्साब .........कौन है ऊ जो ई को चिट्ठाचर्चा कहा ...सरासर गुनाह है ई ..हम तो कहीं नहीं लिखे कि चर्चा है ..अरे हम तो कहे दुम पकडे हैं ...हथिया पकडिए ...आप एकदम हौआयल बैठल थे ...दन्न से कहे कि ई कौनो चर्चा हुआ ....अरे नहीं हुआ महाराज नहीं हुआ ./...हमको तो अब चिट्ठाचर्चा का प्रोविजनल सर्टिफ़िकेट भी देंगे लोग त न न मानेंगे हम ..।

आप कहे कि छंटाई बिनाई कर लें ..करेंगे तो कहिएगा कि ई सब का चमचा हो न जी तुम्हरे ग्रुप के हैं ....काहे छांटे ..कौनो लिंक खराब लगा तो कहिए ई एकदम कूडा है ..न त काहे का ओस्ताजी ...ई इहां टीप के एकरे पोस्ट बना के जा रहे हैं बकबकाने उहे बनाए हैं एक ठो ब्लॉग दंड पेलने के लिए ...

सोमवार, 1 नवंबर 2010

जस्ट इश्माईलिए न ,..... माने कि ,हंसिए जी ....




पत्नी : आप सलीम की बीवी के जनाज़े पे नहीं जा रहे हो ..

पति :- अरे किस मुंह से जाऊं , उसने तो अब तक तीन बार मुझे अपनी बीवी के जनाजे पर बुला लिया है , एक मैं हूं जो एक बार भी ............




पत्नी : (ऊपर तारों को देखते हुए ) , अच्छा बताओ कौन सी वो चीज़ है जो तुम्हारा तोडने का मन तो करता है मगर तोड नहीं पाते हो

पति : नहीं रहने तो मुझे नहीं बताना

पत्नी : ऊंऊंऊंऊं ...बताओ न ..बताओ न ..

पति :- तुम्हारे दांत




एक शराबी :- अगर मेरे हाथ में सरकार होती तो मैं देश की तकदीर बदल देता ....

उसकी पत्नी :- कुत्ते , कमीने पहले अपना पाजामा तो बदल ले , सुबह से मेरी पटियाला सलवार डाले घूम रहा है



एक उदघोषणा :-

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एक मुर्गी का बच्चा शराब के ड्रम में गिरा और मस्त हो के निकला और सोई हुई बिल्ली के मुंह पर चमाट मार के बोला "बिल्लो रानी कहो तो आज जान दे दूं """




पायलट लपटन जी अपनी कामयाबी के बाद अपने जहाज लैंड करने पे बहुत खुश हुए ...
नीचे उतरने पर स्टाफ़ ने उसे हाथोंहाथ लिया और एयर्मैन उनकी वर्दी उतारने लगा

लपटन जी (फ़क्र से ) आज मैंने पाकिस्तान के चार जहाज़ दो हेलिकाप्टर और एक टैंक को उडा दिया

एयरमैन : - जी हां सर बिल्कुल ठीक कहा आपने मगर बस एक गलती हुई आपसे आप खुशी में पाकिस्तान में ही लैंड कर गए हैं ..

संता जी पहली बार ही हवाई जहाज़ में बैठे , जैसे ही प्लेन का अगला टायर ऊपर उठा तो संता जी उछल के बोले , "अबे पायलट , मैं पहले ही डरा हुआ हूं ..और तू अपने स्टंट दिखा ले



अब एक इंग्लिश में झेलिए

Santa on phone : Doctor my wife is pregnant .....Shee is having pain right now ......

Doctor : Is this her first child

Santa :- No this is her husband




Recharge successful on 22-10-2010 at 8:13 PM . Talktime Rs ..201.27......

अबे लो अब ..एस एम एस की पोस्ट बनाओगे ...तो ये कंफ़्यूजन तो होगा ही




लपटन जी को इलेक्ट्रिक कुर्सी पर बिठा कर करंट से मौत की सज़ा सुनाई गई

जल्लाद :- आखिरी ख्वाहिश क्या है ?

लपटन जी :- जल्लाद भाई , मुझे डर लग रहा है , मेरा हाथ पकड लो ....



चलिए तो जब तकले आप ई बकबक पढिएगा तब तक हम खबरों पर अपनी वक्र दृष्टि डालते हैं ..........

सोमवार, 25 अक्तूबर 2010

एक सिंपल दोस्त और एक पंजाबी दोस्त : खुदे कंपेयर करिए....झाजी की बकबक






एक सिंपल दोस्त : माफ़ करना यार शायद मेरी गलती थी

एक पंजाबी दोस्त :- ओए तेरी गलती है साल्या ..



एक सिंपल दोस्त :- मैंने तुम्हें बहुत मिस किया यार ..

पंजाबी दोस्त :-ओए कित्ते मर गया सी ओए ........



एक सिंपल दोस्त :_ मुझे तुम्हारी फ़िक्र रहती है यार

एक पंजाबी दोस्त :- थ्वाणु छड्ड के कित्थे जाणा है यार ...



एक सिंपल दोस्त :- मैं तेरी सफ़लता से बहुत खुश हूं

एक पंजाबी दोस्त:-चल पार्टी दे होटल विच ...दारू शारू लावांगे



एक सिंपल दोस्त :- ज़रा धीरे चला यार

एक पंजाबी दोस्त:-तेज़ भज़ा हरामखोर ,अग्गे स्विफ़्ट विच निरि अग्ग बैठी ए .....




एक सिंपल दोस्त :- यार मैं उस लडकी से प्यार करता हूं

एक पंजाबी दोस्त:-इज्जत नाल वेखो कुत्त्यो .......ओ थ्वाडी परजाई है ...

रविवार, 24 अक्तूबर 2010

कुछ अजब गजब के नियम ..और झाजी की बकबक ..हमारा एक ठो नयका ब्लॉग





कतार का नियम


हमेशा वो कतार तेज खिसकने लगती है जिसे आपने ये सबसे धीमा कतार समझ के अभी अभी छोडा है


मैकेनिक्स का नियम


जब भी आपके दोनों हाथ ग्रीस से सने होते हैं , ठीक तभी आपकी नाक के नीचे खुजली होती है


पहुंच का नियम


नीचे गिरने वाला सिक्का हमेशा ,उस कोने में जाकर बैठ जाता है , जहां पर आपकी पहुंच सबसे कठिन होती है



मिलने का नियम

इस बात की संभावना सबसे अधिक होती है कि वो व्यक्ति आपको तभी मिल सकता है , जो कि आप नहीं चाहते कि मिले और देखे कि आप किसके साथ हैं




टेलिफ़ोन का नियम


हमेशा ही इस बात की प्रबल संभावना होती है कि , रॉंग नंबर कभी इंगेज नहीं मिलता


चलिए आज एतने बकबका लेते हैं ..बकिया कल से रोजे एक डोज़ ..का ठीक रहेगा नू