एक्चुअली जब ई ब्लॉग बनाए थे तो तभी सोचे थे कि , ब्लॉगिंग में जब अखाडानुमा माहौल बन जाता है तो अपने उ ब्लॉग जिसपर आप अपना जीवन अपना अरमान सजाते हैं , उ को कम से कम ई अखाडाबाजी से जितना हो सके बचाया जा सके , तो उपाय निकला कि ई सब बकबक के बास्ते एक ठो अलगे ब्लॉग बना दिया जाए तो आज हमरा और ओस्ताज के बीच तनिक लघु संवाद हुआ ..नोश फ़रमाईये ..ओस्ताज जी हमारी ई पोस्ट पर टीपे किउस्ताद जी ने कहा… 3/10
इसको आप चिटठा चर्चा कहते हैं ?
जो मिला सबको थैले में डाल लिया... छंटाई-बिनाई तो अगला कर ही लेगा.
इतनी मेहनत के बजाय अगर सलेक्टेड बारह-पंद्रह लिंक दिए होते तो ज्यादा बेहतर होताहमारा नम्र निवेदन ..अरे लिटरली नम्र है यार ..हा हा हा ओस्ताज जी आ गए ..हम भी कह रहे थे कि , एतना दिन हो गया युनिट टेस्ट लेने नहीं आया कौनो ..फ़िर सोचे कि हो सकता है चुनाव ड्यूटी में लगे हों । हां त मास्साब ....अब देखिए हम तो आपको मास्साबे कहेंगे काहे से कि आप बराबर ओतने लंबर हमको देते हैं ...जितना ऊ ठर्की मेहता सर दिया करते थे ...त मास्साब .........कौन है ऊ जो ई को चिट्ठाचर्चा कहा ...सरासर गुनाह है ई ..हम तो कहीं नहीं लिखे कि चर्चा है ..अरे हम तो कहे दुम पकडे हैं ...हथिया पकडिए ...आप एकदम हौआयल बैठल थे ...दन्न से कहे कि ई कौनो चर्चा हुआ ....अरे नहीं हुआ महाराज नहीं हुआ ./...हमको तो अब चिट्ठाचर्चा का प्रोविजनल सर्टिफ़िकेट भी देंगे लोग त न न मानेंगे हम ..।आप कहे कि छंटाई बिनाई कर लें ..करेंगे तो कहिएगा कि ई सब का चमचा हो न जी तुम्हरे ग्रुप के हैं ....काहे छांटे ..कौनो लिंक खराब लगा तो कहिए ई एकदम कूडा है ..न त काहे का ओस्ताजी ...ई इहां टीप के एकरे पोस्ट बना के जा रहे हैं बकबकाने उहे बनाए हैं एक ठो ब्लॉग दंड पेलने के लिए ...
गुरुवार, 4 नवंबर 2010
ओस्ताज चेला का बात है ....तो बकबका दिए ...
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अरे अब हम का कहे आपके और आपके ओस्ताज के बीच में !? खुद ही निबट लीजिये !
जवाब देंहटाएंदीपावली पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई ....
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