सिर्फ़ पोस्ट पर ही नहीं टिप्पणियों के लिए भी चले उंगलियां |
हिंदी में जितना लेखन किया जा रहा है ..मतलब कि पोस्ट लेखन ..ऐसा हो सकता है कि उससे कहीं अधिक पठन किया जा रहा हो ..मगर यकीनन यहां बाहर से आए कई पाठकों को कई बहुत ही बेहतरीन पोस्टों पर पहुंचने पर जब एक भी टिप्पणी नहीं दिखाई देती तो वो ठिठक कर ये जरूर सोचता होगा कि आखिर इतने छोटे से हिंदी ब्लॉग जगत में भी जब ऐसी पोस्टों पर टिप्पणी नहीं है तो फ़िर इनके पाठक कहां हैं ? क्या ऐसी कुछ किया जा सकता है कि इन टिप्पणियों को ही एक जगह पर सहेजा जा सके ताकि उससे न सिर्फ़ उस पोस्ट बल्कि टिप्पणी का भी एक अलग वजूद बन जाए और शायद ऐसा करके बहुत से साथी ब्लॉगर्स को टिप्पणी करने के लिए प्रेरित किया जा सके ।
आज रविवार को यही बातें तब मेरे दिमाग में घूमती रहीं जब मैं पोस्टों को पढने के क्रम में इधर उधर टहल रहा था । मुझे लगता है कि हम इसलिए लिखते हैं क्योंकि अपने विचार बांट सकें और एक पोस्ट लेखक को यदि उस पर कोई प्रतिक्रिया ही नहीं मिलेगी तो न सिर्फ़ उस पोस्ट पर पहुंचने से ऐसा लगेगा जैसे आप किसी दीवार पर पहुंचे और वहां चस्पाई गई चीज़ पढ कर चुपचाप निकल गए हों । हां मैं मानता हूं कि न तो पोस्टें टिप्पणियों के लिए लिखी जाती हैं न ही हर पोस्ट पर प्रतिक्रिया की ही जाए ये जरूरी है , और इसके बावजूद कि शायद पोस्ट लेखक को उस लेख पर कोई प्रतिक्रिया अपेक्षित नहीं है ( हालांकि मुझे अब तक ऐसा कोई अपवाद मिला नहीं है , नहीं मैं नहीं मानता कि जिन्होंने टिप्पणी बक्सों को ताला लगा रखा है उन्हें किसी प्रतिक्रिया की दरकार नहीं है ) , लेकिब बाद में और बहुत बाद में आए पाठकों के मन बिना टिप्पणी वाली पोस्टों पर एक कौतूहल ये बना ही रह जाता है कि , आखिर इस पोस्ट को पढके क्या सोचा गया होगा । या शायद किसी ने इस पोस्ट को पढा ही नहीं ।
मैं ये सोच रहा हूं कि क्या ये संभव है कि हिंदी ब्लॉग पोस्टों पर की जा रही टिप्पणियों को एक मंच पर सहेज के रखा जा सके । विशुद्ध रूप से टिप्पणियों का एग्रीगेटर । हां मैं जानता हूं आप सोच रहे होंगे कि एक तो पहले से ही पोस्टों के लिए एक एग्रीगेटर के लाले पडे हुए हैं ऊपर से मैं टिप्पणियों के लिए एक अलग एग्रीगेटर की बात घुसेड रहा हूं । जी घुसेड ही नहीं दी है बल्कि ब्लॉगिंग महामानव ......ब्लॉग जिन्न ..श्री श्री बी एस पाबला जी के इस नायाब मंच ..ब्लॉग मंच पर प्रश्न उछाल चुका हूं ...और इसका हल न निकले ..ऐसा हो ही नहीं सकता । ये तो बस बकबक थी जी ..क्या पता आगे आपके कौन सी काम आ जाए .....नहीं तो हम तो झाजी हैं ही ..बकबक वाले
बस आप लोग भी अब शुरू हो जाईये ..लीजीए ..एग्रीगेटर के लिए टिप्पणियां ही तो चाहिए न जी ..आयं
एक भी टिप्पणी नहीं!
जवाब देंहटाएंka baat karte ho........
जवाब देंहटाएंjai baba banras.....
हमारी पोस्टों पर आने वाली टिप्पणियाँ तो अपने ब्लागर खाते में सहेजी हुई ही हैं। लेकिन कभी कभी लगता है कि खुद की की गई टिप्पणियाँ भी सहेज कर रखी जानी चाहिए। लेकिन कैसे?
जवाब देंहटाएंहम ने अपनी टिप्पणी अपने ई-मेल या ब्लागर खाते से ही की हैं। इस लिए उन्हें भी तलाशा ही जा सकता है। उन्हें इकट्ठा करने वाला एक टूल होना चाहिए।
कुछ टिप्पणियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं। उन्हें सहेजना और उन का पुनर्प्रकाशन वाकई अच्छी बात होगी।
टिप्पणियाँ बहुत महत्वपूर्ण होती हैं
जवाब देंहटाएंअभी-अभी समाचार पढ़कर बहुत आघात हुआ और दुःख पहुंचा. शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार अजय कुमार झा जी के पिताश्री को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए परमपिता परमात्मा से दिवंगत की आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता है.दुःख की इस घडी में हम सब अजय कुमार झा जी के साथ है.
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