शनिवार, 2 जुलाई 2011

एक अजीब कशमकश है यार .... अब है तो है



ई मंदिर बिरादती के बिल गेट्स हैं  . जी जी तिरूपति बाला जी .की.जय हो 




जिस तरह से मंदिरों के गर्भगृहों से अकूत धन दौलत और संपदा निकल रही है उसने मेरे इस विश्वास को और भी पुख्ता किया है कि , आज देश की बदहाली और पिछडेपन में जिन आपराधिक आर्थिक कारणों का हाथ रहा है उनमें से एक ये भी है । इसका मतलब कि हम लोग वो बेवकूफ़ हैं जो पैसे के ढेर पर बैठ कर भूख से मर जाता है , न भगवान जागने को तैयार है न इंसान , अजीब कशमकश है यार 

4 टिप्‍पणियां:

  1. hum gareeb the, gareeb hain aur gareeb hi rahenge..kyunki humne to bhagwaan ko ameer banane ka theeka le rakha hai...

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  2. पहले जमाने में मन्दिर ही जनता की सुरक्षा के कवच हुआ करते थे। इसी के साथ लोगों की श्रद्धा भी अकूत थी और आज भी है। इसलिए मन्दिरों सहित सारे ही धार्मिक स्‍थलों पर अकूत सम्‍पदा है। यह देशहित में काम आनी चाहिए।

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